Panna News : 1740 में खेजडा मंदिर परिसर में बुंदेलखंड की रक्षा के लिए महाराजा छत्रसाल को विजयादशमी के दिन श्री प्राणनाथ जी ने वरदानी तलवार सौंपी थी और आर्शीवाद देते हुए कहा था “छत्ताो तेरे राज में धग धग धरती होय, जित जित घोडा पग धरे तित तित फत्तेग होय”
पन्ना:Madhya Pradeh News : पन्ना जिले में श्री प्राणनाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर (Prannath Ji Temple District Panna) है, इस मंदिर में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2023) पर देश-विदेश से हजारों-लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं. श्री 108 प्राणनाथ ट्रस्ट एवं प्रशासन के सहयोग से बडे़ ही धूमधाम से शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का आयोजन किया जाता है. लेकिन पूर्णिमा से पहले विजयादशमी (Vijayadahmi) के दिन यहां हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है.
विजयदशमी के दिन से होती है पूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत
पन्ना में अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत विजयादशमी के दिन श्री खेजडा मंदिर में वीरा व तलवार उठाकर होती है. ऐसा बताया जाता है कि वीरा व तलवार इस बात का प्रतीक है कि संवत 1740 में खेजडा मंदिर परिसर में बुंदेलखंड की रक्षा के लिए महाराजा छत्रसाल को विजयादशमी के दिन श्री प्राणनाथ जी ने वरदानी तलवार सौंपी थी और आर्शीवाद देते हुए कहा था “छत्ताो तेरे राज में धग धग धरती होय, जित जित घोडा पग धरे तित तित फत्तेग होय”
इस बार फिर सौंपी गई तलवार
इस बार भी विजयादशमी के दिन पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मंदिर में महामति के हजारों अनुयायी विशाल मंदिर प्रांगण में एकत्रित हुए और उस तलवार सौंपने की उस घड़ी का इंतजार करने लगे जो आज से लगभग 400 साल पहले आयी थी. एक बार फिर यहां पर हजारों वर्ष पुरानी परंपरा जीवित हुई और छत्रसाल महराज के वंशज को तलवार सौंपी गई.
महाराजा छत्रसाल पर्व के रूप में मनाते हैं यह दिवस :धर्मगुरु
यहां के धर्मगुरु डॉक्टर दिनेश पंडित ने बताया कि यहां 400 साल पहले जो घटना पर घटित हुई थी. वह फिर से देखने को मिली. महाराजा छत्रसाल जी युद्ध के दौरान जब सैनिकों से गीते थे तब महामति प्राणनाथ जी ने उनसे उनकी तलवार मंगाई और बोले मैं इस तलवार में शक्ति प्रदान करता हूं, यह तुम्हें युद्ध में विजय प्राप्त करने में काम आएगी. हर साल विजयदशमी के दिन हम यह कार्यक्रम करते हैं जिसमें यह दिव्य तलवार दर्शन के लिए निकाली जाती है. इसको देखने के लिए दूर-दूर से दर्शन करने के लिए लोग आते हैं. यह प्रथा 1740 से चली आ रही है इसको हम महाराजा छत्रसाल पर्व के रूप में मानते है.
नेपाल की विजयादशमी छोड़ इस परंपरा को देखने आए श्रद्धालु
यहां आए हुए श्रद्धालु अश्विनी बताते हैं कि हम नेपाल से आए हैं. हमारे यहां विजयादशमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है हम उसको छोड़कर यहां पर पन्ना आए हैं. महामति प्राणनाथ जी ने छत्रसाल महाराज को जो तलवार भेंट की थी, हम उसके दर्शन करने आए हैं. मेरी बहुत इच्छा थी कि मुझे यह तलवार देखना है आज मेरी मान्यता पूरी हुई मुझे यहां पन्ना में महामति के दरबार में बहुत अच्छा लग रहा है.