Indore News: सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वकीलों ने कहा था कि मामले पर मीडिया का ध्यान केंद्रित होने के कारण सुनवाई में जल्दबाजी की गई. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी को अपना बचाव करने का उचित अवसर देने के बाद मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट में भेजा जाता है.Indore Rape Case News: इंदौर में तीन महीने की बच्ची के अपहरण, बलात्कार व हत्या के आरोपी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने मौत की सजा पाए दोषी की सजा रद्द कर दी. इसके साथ ही मामले की नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल भेज दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 23 दिनों में ट्रायल पूरा करने पर भी सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को अपना बचाव करने का ‘उचित अवसर’ नहीं दिया गया.
हाईकोर्ट के फैसले को किया रद्द
जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के दिसंबर 2018 के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया. इससे पहले मार्च 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 25 वर्षीय आरोपी नवीन की सजा पर रोक लगा दी थी. पीठ ने कहा कि हमारा विचार है कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को अपना बचाव करने का उचित अवसर दिए बिना जल्दबाजी में मुकदमा चलाया. इसलिए ट्रायल कोर्ट की ओर से पारित आदेश और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से सजा पर मुहर लगाने के फैसले को रद्द किया जाता है.
वकील उपलब्ध कराने के भी दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वकीलों ने कहा था कि मामले पर मीडिया का ध्यान केंद्रित होने के कारण सुनवाई में जल्दबाजी की गई. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी को अपना बचाव करने का उचित अवसर देने के बाद मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट में भेजा जाता है. इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, इंदौर को अपीलकर्ता को एक वरिष्ठ वकील की मदद प्रदान करने का निर्देश भी दिया गया है.
इसलिए आरोपी को मिली राहत
दोषी को अन्य बातों के अलावा गवाहों से जिरह करके खुद का बचाव करने का कोई ‘वास्तविक’ अवसर नहीं दिया गया था. इसके साथ ही उसे बचाव वकील रखने की अनुमति नहीं थी. विशेष रूप से दिन-प्रतिदिन के आधार पर आयोजित ट्रायल के दौरान अपीलकर्ता को विशेषज्ञ गवाह पेश करने के लिए एक दिन का समय दिया गया था. वहीं, आरोपी के लिए डीएनए रिपोर्ट के लेखकों को एक दिन में पेश करने के लिए कहा गया था, जो असंभव था, क्योंकि विशेषज्ञ सरकारी कर्मचारी हैं और जेल में बंद आरोपी के अनुरोध पर अदालत में पेश नहीं हो सकते थे. ट्रायल कोर्ट ने आरोपी के साथ ऐसा व्यवहार किया, जैसे उसके पास एक जादू की छड़ी है, जो एक फोन कॉल पर सरकारी पद पर तैनात विशेषज्ञों को तैयार कर लेगा.
निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांत पर भी जोर दिया
सर्वोच्च अदालत ने निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांत पर भी जोर दिया. कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई के संदर्भ में ‘न्यायिक शांति’ की अवधारणा पर भी विस्तार से प्रकाश डाला. कोर्ट ने कहा कि एक न्यायाधीश के लिए शांति की आभा प्रदर्शित करना, तर्क और मानक विचार-विमर्श करना अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि ये संवैधानिक अनुपालन का मामला है, जो लोकतंत्र के एक स्तंभ के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि यह वह आधार है, जिस पर कानूनी प्रणाली में विश्वास बनाया जाता है.
पोक्सो के तहत सुनाई गई थी सजा
दरअसल, मई 2018 में मध्य प्रदेश के इंदौर में तीन महीने की बच्ची से बलात्कार और हत्या के आरोपी व्यक्ति को 23 दिनों की सुनवाई के बाद सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. नवीन गाडके को दोषी पाए जाने के बाद यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न अपराधों के तहत मौत की सजा सुना दी गई थी. इस पर विशेष लोक अभियोजक अकरम शेख ने अपराध की गंभीरता पर जोर दिया और आग्रह किया कि अदालत इसे ‘दुर्लभतम’ मामलों में से एक माने.
2018 की है घटना
यह घटना अप्रैल 2018 में घटी थी. इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा किले के पास से एक नवजात का उस वक्त अपहरण कर लिया गया था, जब वह सड़क पर अपने माता-पिता के बगल में सो रही थी. बाद में उसका खून से लथपथ शव पास की एक इमारत के बेसमेंट में मिला था. इसके बाद, कई लोगों से पूछताछ की गई और दुखद घटना के दिन नवीन को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने जल्द ही अपनी जांच पूरी कर उसके खिलाफ चार्जशी दाखिल कर दी थी.